7 साल के बाद पहली बार कोयला आयात कर सकती है कोल इंडिया, बिजली की बढ़ती मांग से निपटने के लिए बनी योजना

7 साल के बाद पहली बार कोयला आयात कर सकती है कोल इंडिया, बिजली की बढ़ती मांग से निपटने के लिए बनी योजना

7 साल के बाद पहली बार कोयला आयात कर सकती है कोल इंडिया

7 साल के बाद पहली बार कोयला आयात कर सकती है कोल इंडिया, बिजली की बढ़ती मांग से निपटने के लिए बनी योज

नई दिल्ली। सरकार ने पब्लिक सेक्टर की कंपनी सीआईएल (Coal India Limited) को कोयला आयात करने के लिए तैयार रहने को कहा है। सरकार ने बिजली कंपनियों को अगले 13 महीनों के लिए 1.2 करोड़ टन कोयला आयात करने के उद्देश्य से तैयार रहने का निर्देश दिया है। एक सूत्र बताया कि राज्य की बिजली कंपनियों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों ने शनिवार दोपहर तक का समय मांगा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें कितने कोयले की जरूरत है। इसके बाद कोल इंडिया द्वारा कोयला आयात करने के आदेश दिए जाएंगे।

2015 के बाद यह पहला मौका होगा, जब महारत्न कंपनी ड्राई फ्यूल का आयात करेगी। सूत्र ने कहा कि भारत सरकार ने कोल इंडिया को इस साल जुलाई से जुलाई 2023 तक 1.2 करोड़ टन कोयले के आयात के लिए तैयार रहने को कहा है। हालांकि, इस संबंध में कंपनी को भेजे गए एक प्रश्न का तत्काल कोई जवाब नहीं मिला है।

उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण अप्रैल में हुई बिजली की गड़बड़ी की पुनरावृत्ति से बचने के लिए कोयले का स्टॉक बनाए रखने का सभी प्रयास कर रही है। 18 मई को बिजली मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि अगर 31 मई 2022 तक कोयला आयात के आदेश नहीं दिए जाते हैं और 15 जून तक बिजली संयंत्रों में आयातित ईंधन का आगमन शुरू नहीं होता है, तो डिफॉल्टर जेनको (gencos) को अपनी 15 प्रतिशत की सीमा के आयात को बढ़ाना होगा।

क्या हैं इसके मुख्य कारण?

अप्रैल में देश के कई हिस्सों में कोयले की कमी के कारण बिजली गुल हो गई थी। उन्होंने कहा था कि देश में कुल बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए पहले से ही कई उपाय किए जा रहे हैं। देश में गैस आधारित बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आई है, जिससे संकट और बढ़ गया है। कोयला सचिव एके जैन ने बिजली संयंत्रों में कम कोयले के स्टॉक को कई कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जैसे कि अर्थव्यवस्था में तेजी के कारण बिजली की मांग में वृद्धि, कोविड​​​​-19, गर्मियों का जल्दी आगमन, गैस की कीमत में वृद्धि और आयातित कोयला और तटीय ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा बिजली उत्पादन में तेज गिरावट इसके मुख्य कारण थे।